गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

कवितायेँ


                                                                मेरी ममतामयी माँ
 अमृत से सींच कर जिसने वृक्ष बनाया
 अपने स्नेह का मुझको अक्ष बनाया
 गैरों में भी प्यार बाँटना जिसने मुझको सिखलाया
 मेरा हर जन्म जिसका ऋणी रहा
        वो मेरी ममतामयी माँ
 संसार का परिचय सर्वप्रथम जिसने कराया
 बड़ों का सम्मान करना जिसने मुझको सिखलाया
 अपनी मर्यादा और संस्कृति की श्रेष्ठता को बतलाया
 मेरा हर कर्म जिसका आभारी रहा
       वो मेरी ममतामयी माँ
   

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

राजनीति

मैंने भारत- भूटान संबंधो पर शोध किया है जिसे करने में मुझे काफी  कठिनाई उठानी पड़ी क्योकि इस विषय पर हिंदी में उपलब्ध साहित्य बहुत कम है.मैंने तो अपनी शोध पूरी कर ली लेकिन मैं चाहती हूँ की जो और लोग इस विषय पर अपना शोध कर रहे हैं उनकी मैं कुछ मदद कर सकू.इसलिए मैं इस ब्लॉग पर इस विषय से सम्बंधित जानकारी डालती रहूंगी.और यदि किसी को इस विषय में मेरी मदद की जरुरत हो तो मुझे जरूर लिखें .



                                                               भूटान -भारत सम्बन्ध

भूटान दक्षिण एशिया में एक अकेला ऐसा देश है जो परिवर्तन के इस युग में भी अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता ,अपने धार्मिक रीती -रिवाज व सांस्कृतिक परंपराओं  को अक्षुण बनाये रखे हुए है। भारत ने भी कभी भूटान की संस्कृति के ऊपर आघात करने की कोशिश नहीं की। भूटान ने भी भारत के अलावा किसी अन्य देश के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित नहीं किये क्युकी वह किसी भी रूप में अपनी संस्कृति पर कोई आघात नहीं चाहता था। भारत की सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए भूटान को भारत से कोई खतरा महसूस नहीं हुआ।
         भूटान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अध्धयन यह बताता है की यह पर्वतीय देश अपनी पुरानी संस्कृति ,पुरानी परम्पराओं तथा रीती -रिवाजों की सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहा है। भूटान ने अपनी अखंडता ,सार्वभौमिकता ,एकता एवं अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता को बनाये रखने हेतु अपने आपको समस्त विश्व से अलग कर लिया।भुता की भौगोलिक परिस्थितियों ने भी भूतानि लोगो की इस भावना को मूर्त रूप प्रदान करने में मदद की।  यही कारन है की प्रारम्भ में भूटान अन्य राष्ट्रों एवं भारत के साथ सामाजिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों को स्थापित करने में झिझकता रहा। लेकिन आधुनिकीकरण एवं वैश्वीकरण के इस युग की आवशयकताओं ने भूटान की भौगोलिक दशाओं को नजरअंदाज कर भूटान को अन्य रश्त्रों के साथ वैदेशिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिए मजबूर कर दिआ।