अमृत से सींच कर जिसने वृक्ष बनाया
अपने स्नेह का मुझको अक्ष बनाया
गैरों में भी प्यार बाँटना जिसने मुझको सिखलाया
मेरा हर जन्म जिसका ऋणी रहा
वो मेरी ममतामयी माँ
संसार का परिचय सर्वप्रथम जिसने कराया
बड़ों का सम्मान करना जिसने मुझको सिखलाया
अपनी मर्यादा और संस्कृति की श्रेष्ठता को बतलाया
मेरा हर कर्म जिसका आभारी रहा
वो मेरी ममतामयी माँ
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