मंगलवार, 27 जनवरी 2015

                                  बदलाव

 सुचित्रा आज फिर ओफ़िस से घर के लिये निकलते-निकलते लेट हो गई सारे रस्ते उसके दिमाग मे आकाश का चेहरा घूमता रहा ओर कानो मे उसकी जली कती बाते..कहा थी.किसके साथ थी,ये कोइ घर आने का टाइम है। सुचित्रा का आकाश के साथ रहना मुश्किल होता जा रहा था,लेकिन उनकी ५ साल की बॆटी उन्हे एक साथ बान्धे हुए थी उसका चेहरा देखते ही वो अपना सारा अपमान भूल जाती थी. घर पहुचने पर आकाश ने ही दरवाजा खोला सुचित्रा अन्दर आकर कुर्सी पर बैठ गइ। नेहा मम्मी मम्मी चिल्लते हुए उसके गले से लटक गइ तो पास ही खडे आकाश ने बोला,बॆटा मम्मी थक कर आई है उन्हे थोडा आराम करने दो.सुचित्रा आकाश आश्चर्य से देखती रह गइ। ना आज उसकि जली कटी सुनने को मिलि ना ही ताने......आज तो खाना भी आकाश ने ही परोसा। आकाश मे ये बदलाव रोज ही नजर आने लगा.सुचित्रा आकाश मे आये इस बद्लाव को देखकर खुश होना चहती थी लेकिन उसके मन की दुविधा उसे सोचने पर मजबूर कर रही थी।रविवार का दिन था,नेहा खेलने गइ थी आकाश ओर सुचित्रा बैठ कर टीवी देख रहे थे। आकाश ने बडे प्यार से उसका हाथ थामते हुए पूछा ,सुचित्रा मै तुमसे कुछ मागू तो तुम मना तो नही करोगी। सुचित्रा का मन सचेत हो गया। उसने कहा ......क्या बात हॆ बोलो। आकाश ने कहा ....तुम्हे तो पता हि है,मुझे नोकरी करने मे बिल्कुल भी दिलचस्पी नही है। मै ओर दिलिप एक नया बिजनस शुरु करने कि सोच रहे है। ६ लाख रुपये चहिये,तुम अपनि कम्पनी से लोन ले लो।सुचित्रा को आकाश मे आये बदलाव का कारन समझ आ गया था.

                                                             महिला अत्याचार   

कॉलेज में भाषण प्रतियोगिता थी शीर्षक थामहिला अत्याचार’. सभी प्रतिभागी पूरी तयारी के साथ सभा स्थल पर बैठे थे. प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई और सभी प्रतिभागियों ने क्रमानुसार अपने अपने विचार व्यक्त करने आरम्भ किये. ज्यादातर प्रतिभागियों ने महिला अत्याचार का मुख्य दोषी पुरुषों को बताया और महिला श्रोताओं की जमकर तालियां बटोरी. अब बारी विभा की थी ,कॉलेज की एक होनहार छात्रा.सभी बड़े गोर से उसका भाषण सुन रहे थे. सभी को विभा से कुछ हट के ,कुछ अलग सुनने की आशा थी और वही हुआ. विभा ने महिलाओं की दुर्दशा के लिए पुरुषो को जिम्मेदार नहीं ठहराया, बल्कि उसकी नज़र में स्त्रिया स्वयं अपनी इस दुर्दशा की जिम्मेदार हैं.पूरी सभा शांत केवल विभा की आवाज गूँज रही थी.
  विभा ने बोलना जारी रखा………….यह एक सामान्य सी बात है कि महिलाओं के साथ कुछ भी गलत होता है, निशाना सीधे पुरुषों पर साधा जाता है.लेकिन इसकी शुरुआत एक औरत ही करती है. घर में माँ बेटी के साथ,सास बहु के साथ,दादी पोती के साथ सदियों से दुर्वयवहार करती आ रही है.अगर एक दादी अपने पोते और पोती में अंतर न करे, तो क्या एक भाई अपनी बहन से प्रेम करना नहीं सिखेगा अगर एक सास अपनी बहु को प्यार और सम्मान से रखे तो क्या उसके बेटै की हिम्मत है कि वो उस पे हाथ उठा सके.जहाँ तक मेरा मानना है एक लड़की को बेटी के रूप में पिता,बहन के रूप में भाई और बहु के रूप में ससुर ज्यादा प्यार और सम्मान देते हैं. ये बात सही है के औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन होती है अगर हम इस दुश्मनी को ही जड़ से ख़त्म कर दे तो…….  ही कोई दादी अपनी पोती को गर्भ में ही मारना चाहेगी, ही कोई सास अपनी बहु को जलना चाहेगी, ननद भाभी सहेली बनकर रहेंगी और यह बदलाव घर में रहने वाले पुरुषों के औरतों के प्रति नजरिये में भी बदलाव लाएगा. जब घर के माहोल में बदलाव होगा तो धीरे-धीरे समाज बदलेगा और फिर अपना देश भी. तो बदलने की सबसे पहले जरूरत स्त्री को ही है .यदि स्त्रिओ की सोच बदलेगी तो पुरुष तो स्वयं ही बदल जायेंगे, क्योकि उनकी परवरिश तो एक स्त्री ही करती है. यदि एक माँ अपने बेटे को सही सीख देगी उसे स्त्रियो का सम्मान करना सिखाएगी तो महिला अत्याचार स्वतः ही कम होते जायेंगेअब तालियां बजाने की बारी पुरुषों की थी और विभा के भाषण का मर्म समझने कि बारी स्त्रियो की.