मंगलवार, 27 जनवरी 2015

                                                             महिला अत्याचार   

कॉलेज में भाषण प्रतियोगिता थी शीर्षक थामहिला अत्याचार’. सभी प्रतिभागी पूरी तयारी के साथ सभा स्थल पर बैठे थे. प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई और सभी प्रतिभागियों ने क्रमानुसार अपने अपने विचार व्यक्त करने आरम्भ किये. ज्यादातर प्रतिभागियों ने महिला अत्याचार का मुख्य दोषी पुरुषों को बताया और महिला श्रोताओं की जमकर तालियां बटोरी. अब बारी विभा की थी ,कॉलेज की एक होनहार छात्रा.सभी बड़े गोर से उसका भाषण सुन रहे थे. सभी को विभा से कुछ हट के ,कुछ अलग सुनने की आशा थी और वही हुआ. विभा ने महिलाओं की दुर्दशा के लिए पुरुषो को जिम्मेदार नहीं ठहराया, बल्कि उसकी नज़र में स्त्रिया स्वयं अपनी इस दुर्दशा की जिम्मेदार हैं.पूरी सभा शांत केवल विभा की आवाज गूँज रही थी.
  विभा ने बोलना जारी रखा………….यह एक सामान्य सी बात है कि महिलाओं के साथ कुछ भी गलत होता है, निशाना सीधे पुरुषों पर साधा जाता है.लेकिन इसकी शुरुआत एक औरत ही करती है. घर में माँ बेटी के साथ,सास बहु के साथ,दादी पोती के साथ सदियों से दुर्वयवहार करती आ रही है.अगर एक दादी अपने पोते और पोती में अंतर न करे, तो क्या एक भाई अपनी बहन से प्रेम करना नहीं सिखेगा अगर एक सास अपनी बहु को प्यार और सम्मान से रखे तो क्या उसके बेटै की हिम्मत है कि वो उस पे हाथ उठा सके.जहाँ तक मेरा मानना है एक लड़की को बेटी के रूप में पिता,बहन के रूप में भाई और बहु के रूप में ससुर ज्यादा प्यार और सम्मान देते हैं. ये बात सही है के औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन होती है अगर हम इस दुश्मनी को ही जड़ से ख़त्म कर दे तो…….  ही कोई दादी अपनी पोती को गर्भ में ही मारना चाहेगी, ही कोई सास अपनी बहु को जलना चाहेगी, ननद भाभी सहेली बनकर रहेंगी और यह बदलाव घर में रहने वाले पुरुषों के औरतों के प्रति नजरिये में भी बदलाव लाएगा. जब घर के माहोल में बदलाव होगा तो धीरे-धीरे समाज बदलेगा और फिर अपना देश भी. तो बदलने की सबसे पहले जरूरत स्त्री को ही है .यदि स्त्रिओ की सोच बदलेगी तो पुरुष तो स्वयं ही बदल जायेंगे, क्योकि उनकी परवरिश तो एक स्त्री ही करती है. यदि एक माँ अपने बेटे को सही सीख देगी उसे स्त्रियो का सम्मान करना सिखाएगी तो महिला अत्याचार स्वतः ही कम होते जायेंगेअब तालियां बजाने की बारी पुरुषों की थी और विभा के भाषण का मर्म समझने कि बारी स्त्रियो की.
 

 

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